Bazm-E-Ishq बारिश से ज्यादा तासीर है यादों की , हम अक्सर बंद कमरों में भीग जाते हैं ...|! अपनाने के लिये हजार खूबियाँ कम है , छोड़ने के लिये एक कमी ही काफी है। | तोड़ दिए मैंने घर के आईने सभी , प्यार में हारे हुए लोग मुझसे देखे नहीं जाते। | वाह वाह बोलने की आदत डाल लो दोस्तों , मैं मोहब्बत में अपनी बरबादिया लिखने वाल! हूँ || ये दबदबा , ये हुकूमत , ये नशा , ये दौलतें , सब किरायेदार हैं , घर बदलते रहते हैं .! आरजू ये है कि इज़हार - ए - मोहब्बत कर दें , अल्फाज़ चुनते है तो लम्हात बदल जाते हैं। | ज़िन्दगी में कुछ गम जरुरी है वर्ना खुदा को कौन याद करता मिलता नसीब चाहने से तो खुदा से फरियाद कौन करता होता सुकून हर निगाह में तो खुदा का दीदार कौन करता तजुर्बे ने एक बात सिखाई है , एक नया दर्द ही पुराने दर्द की दवाई है ! तुम ...