Bazm-E-Ishq
बारिश से ज्यादा तासीर है यादों की,
हम अक्सर बंद कमरों में भीग जाते हैं...|!

अपनाने के लिये हजार खूबियाँ कम है
छोड़ने के लिये एक कमी ही काफी है।|

तोड़ दिए मैंने घर के आईने सभी,
प्यार में हारे हुए लोग मुझसे देखे नहीं जाते।|

वाह वाह बोलने की आदत डाल लो दोस्तों,
मैं मोहब्बत में अपनी बरबादिया लिखने वाल! हूँ ||

ये दबदबाये हुकूमतये नशाये दौलतें,

सब किरायेदार हैंघर बदलते रहते हैं.!

आरजू ये है कि इज़हार--मोहब्बत कर दें,
अल्फाज़ चुनते है तो लम्हात बदल जाते हैं।|
  
ज़िन्दगी में कुछ गम जरुरी है
वर्ना खुदा को कौन याद करता
मिलता नसीब चाहने से तो
खुदा से फरियाद कौन करता
होता सुकून हर निगाह में तो
खुदा का दीदार कौन करता
तजुर्बे ने एक बात सिखाई है,
एक नया दर्द ही पुराने दर्द की दवाई है !
तुम अच्छे हो -तो बेहतर; तुम बुरे हो- तो भी कबूल....
हम मिज़ाज--इश्क़ में, ऐब--सनम नहीं देखा करते..||

मुझे क़बूल है हर दर्द, हर तकलीफ़ तेरी चाहत में..
सिर्फ़ इतना बता दे, क्या तुझे मेरी मोहब्बत क़बूल है?

आज के ज़माने में वो ही ईमानदार  है,
जिसको बेईमानी का मौका नहीं मिला ||

क्यों जुड़ता है तू इस जहाँ से, एक दिन ये गुजर ही जायेगा,
चाहे कितना बी समेत ले यहाँ, मुट्ठी से फिसल ही जायेगा ||

खुशियाँ बहुत सस्ती हैं , इस दुनियाँ में 
हम ही ढूंढते हैं उसे महँगी दुकानो में.... ||

ये गंदगी तो महल वालो ने फैलाई है “साहिब
वरना गरीब तो सङको से थैलीयाँ तक उठा लेते है !!

तारीख गवाह हैं जिन्हें अखबारों में बने रहने का शोक रहा हैं,
वक़्त बीतने के साथ वो रद्दी के भाव बिक गए हैं ||

सांसे खर्च हो रही है, बीती उम्र का हिसाब नहीं..... 
फिर भी जीए जा रहे हैं तुझे, जिंदगी तेरा जवाब नहीं.... ||

­­­
आज का इश्क़ हैसियत देखता है साहिब
वो दौर अलग था जब रूह से इश्क़ होता था

हर मर्ज़ का इलाज नहीं दवाखाने में...
कुछ दर्द चले जाते है सिर्फ मुस्कुराने में...!!!

क्रिकेट खिलाड़ी करोडो में बिके हैं
काश, किसानों की फसल का भी कोई IPL होता..||

प्यार, परवाह, शरारत, और थोड़ा समय.
यही वो दौलत है, जो अक्सर हमारे अपने हमसे चाहते हैं..

कौन पूछता है पिंजरे में बंद पंछियों को,
याद वही आते है जो उड़ जाते है…|


सफर रात का है और रात भी तूफानी है
समंदर ही समंदर हैकश्ती भी डूब जानी है ||
  
आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की……!!
लम्हें तो अपने आप ही मिल जाते हैं,

ये इंतज़ार ख़तम क्यों नहीं होता किस से पूछूं,
क्या कोई मंज़िल मेरा मुक़दर है, या यही मेरी अधूरी कहानी है ||

तू कर ले हिसाब!!अपने हिसाब से!!
लेकिन ऊपर वाला लेगा हिस्सा!!अपने हिसाब से...
जिंदगी मे हम कितने सही और कितने गलत है....
ये सिर्फ दो ही शक्स जानते है.. "परमात्मा "और अपनी "अंतरआत्मा"

वो मोहब्बत जो तुम्हारे दिल में है,
उसे ज़ुबान पर लाओ और बयां कर दो,
आज बस तुम कहो और कहत ही जाओ,
हम बस सुने ऐसे बे-ज़ुबान कर दो ||

पनाहों में जो आया होतो उस पे वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ होउस पे अधिकार क्या करना
मुहब्बत का मज़ा तोडूबने की कशमकश में है
हो ग़र मालूम गहराईतो दरिया पार क्या करना ||


मुझे उससे कोई शिकायत ही नहीं
शायद हमारी किस्मत में चाहत ही नहीं
मेरी ताकदीर को लिखकर खुदा भी मुकर गया
पूछा तो बोला ये मेरी लिखावट ही नहीं ||


जो मुस्कुरा रहा हैउसे दर्द ने पाला होगा,
जो चल रहा हैउसके पाँव में छाला होगा,
बिना संघर्ष के इन्सान चमक नही सकतायारों
जो जलेगाउसी दिये में तो उजाला होगा|

 किसी का फेंका हुआ मिले,
 किसी से छिना हुआ मिले,
मुझे बस मेरे नसीब मेंलिखा हुआ मिले,
ना मिला ये भीतो कोई गम नहीं,
मुझे बस मेरी मेहनत काकिया हुआ मिले ||


हाथ में उसको कलम का आना अच्छा लगता है
उसको भी स्कूल को जाना अच्छा लगता है
बड़ा कर दिया मजबूरी ने वक्त से पहले वरना
सर पर किसको बोझ उठाना अच्छा लगता है !!

 लुटेरा है अगर आज़ाद तो अपमान सबका है
लुटी है एक बेटी, तो लुटा सम्मान सबका है.
 बनो इंसान पहले छोड़ कर तुम बात मज़हब की
 लड़ो मिलकर दरिंदो से ये हिन्दोस्तान सबका हैं
 #Justice for Asifa 
जब मुल्ला को मस्जिद में राम नजर आए,
जब पंडित को मंदिर में रहमान नजर आए,
सुरत ही बदल जाए इस दुनिया की गर
इंसान को इंसान में इंसान नजर आए….।।

मैने बहुत से ईन्सान देखे हैं, जिनके बदन पर लिबास नही होता,
और बहुत से लिबास देखे हैं, जिनके अंदर ईन्सान नही होता।
कोई हालात नहीं समझता, कोई जज़्बात नहीं समझता,
ये तो बस अपनी अपनी समझ की बात है…,
कोई कोरा कागज़ भी पढ़ लेता है तो कोई पूरी किताब नहीं समझता!!

हर एक लिखी हुई बात को हर एक पढ़ने वाला नहीं समझ सकता,
क्योंकिलिखने वालाभावनाएंलिखता है,और लोग केवलशब्दपढ़ते हैं।|



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