Divine Love - " Ishq-E-Haqeeqi "


*. जरूरत भर तो ईश्वर सबको देता है,
   परेशान सब इसलिए हैं कि बेहिसाब मिले..|| 
*. नफ़रत करते तो अहमियत बढ़ जाती उनकी,
   मैंने माफ़ कर के उनको शर्मिंदा कर दिया||
*.   खुद की समझदारी ही अहमियत रखती है, 
  वरना याद रहे अर्जुन और दुर्योधन के गुरु एक ही थे ।|
*. थोडी ही सही... पर कद्र तो इंसानों की कर ले , 
   जनाजे में कांधे किराये पर नहीं मिला करते....||
*. ज़िन्दगी निकल जाती है ढूँढने में, कि ढूंढना क्या है?
   अंत में तलाश सिमट जाती है इस सुकून में कि...
   जो मिला, वो भी कहाँ साथ लेकर जाना है ||
*.  बिछड़ते वक्त मेरे ऐब गिनाये कुछ लोगों ने ...
  सोचता हूं जब मिला था तब कौन सा हुनर था मुझ में.. ||
*. हम कल को,तलाशते रहे दिनभर...
  और शाम होते-होते,मेरा आज डूब गया ||
*. मैं अभी तक समझ नहीं पाया तेरे इन फैसलो को ऐ रब,
   उस के हक़दार हम नहीं या हमारी दुआओ में दम नहीं !!
*. दुआएं रद्द नही होती...बस बेहतरीन वक्त पर कबूल होती है...!!!
*. ये कौन मेरे हाल पे रोया था फूट कर, 
  आइने के उस तरफ़ वो शक़्स कौन था ||
*. लोग तो बे-वजह ही खरीदते हैं आईने ,
   आंख बंद करके भी अपनी हकीकत जानी जा सकती है ||
*. मुझे महंगे तोहफ़े पसंद है,
  अगली बार आओ तो वक़्त ले आना...!!
*. हैरत से न देख मेरे चेहरे की दरारें, 
  मैं वक़्त के हाथों में खिलौने की तरह था।
*. खुद का मान अगर चाहो तो औरों का भी मान रखो...
   कहने को अगर जीभ मिली है,तो सुनने को भी कान रखो ||
*. ख्वाहिश बस इतनी सी है कि तुम मेरे अल्फ़ाज़ो को समझो,
   आरज़ू ये नहीं कि लोग वाह वाह करें.. ||
*. फिक्र है सब को खुद को सही साबित करने की,
   जैसे ये जिन्दगी, जिन्दगी नही, कोई इल्जाम है!!!
*.  जिद्दी सा बचपन उम्र के थपेड़ों ने मजबूरन जवान कर दिया..
   चवन्नी की कुल्फियों में शहंशाह हुआ करते थे..||
   आज दो हजार के नोटों ने परेशान कर दिया..!
*. यूँ तो सब ही रूठे रूठे से हैं मुझसे,
   पर बचपन की मासुमियत ज्यादा खफ़ा है..||
*.  एक उम्र वो थी कि, जादू में भी यक़ीन था,
    एक उम्र ये है कि, हक़ीक़त पर भी शक़ है ||
 *. दुनिया फ़रेब करके हुनरमंद हो गयी,
   हम एतबार करके गुनाहगार हो गए... ||
 *. हाल पूछा न खैरियत पूछी,
  आज भी उसने.. हैसियत पूछी...||
 *. अपने खिलाफ बाते बड़ी खामोशी से सुनती हूँ मैं,
   ऐ दोस्तों जवाब देने का ज़िम्मा मैंने वक्त को दे रखा है !!
*. "मतलब" का वजन बहुत ज्यादा होता है,
   तभी तो "मतलब" निकलते ही रिश्ते हल्के हो जाते है.।।
*. जिस रफ़्तार से तू निकल रही है ऐ_ज़िन्दगी,
   एक चालान तो तेरा भी बनता है...!!!
*. बहुत ज़ोर से हँसे थे हम ,बड़ी मुद्दतों के बाद,
   आज फ़िर कहा किसी ने, "मेरा ऐतबार कीजिये
*. एहसासों के पांव नहीं होते, 
   फिर भी दिल तक पहुंच ही जाते हैं..||
*. कहानियों में आपकी शामिल कुछ यूँ रहेंगे हम...
   जिक्र बस एक बार सही, पर्दा गिरने तक असरदार रहेंगे हम ||
*. हम से मोहब्बत का दिखावा न किया कर,
   हमे मालुम है तेरे वफा की डिगरी फर्जी है..||
*. हमारा कौन है इस शहर में जो घर आए...
  हम इस ख़याल से दरवाज़ा बंद कर आए...||
*. "पाँव" हौले से रख "कश्ती" से "उतरने" वाले..
   ज़मीं" अक्सर "किनारों" से ही "खिसका" करती है..||
*. ठहाके छोड़ आये हैं कच्चे घरों मे हम..
  रिवाज़ इन पक्के मकानों में बस मुस्कुराने का है !!
*. उंगलिया आज भी इस सोच में गुम है,
  उसने कैसे नए हाथ को थामा होगा.. ||
*.  बहुत सस्ता हूँ साहिब...  मीठा बोलो और खरीद लो..||
   जब कमाई का हिसाब कोई पूछे..... ठोकरें जरूर गिनाया करो... ||
 *. कड़वा है, फीका है, शिकवा क्या कीजिए..
   जीवन समझौता है, घूँट - घूँट पीजीए... ||
*. ग़रीबी हाथ बाँधे खड़ी है चाह कर भी क्या देंगे,
   मग़र बच्चे समझते हैं कि.....पापा चाँद ला देंगे।|
*. कभी रज़ामंदी तो कभी बग़ावत है इश्क,  
   प्रेम राधा का, तो मीरा की भक्ति है इश्क 
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